मंजिलों से जुदा हो गए
रास्ते जब खफा हो गए
नर्म हो कर झुके जब कभी
लोग सारे ख़ुदा हो गए
उनकी तारीफ़ की ,और वो
जान ओ दिल से फ़िदा हो गए
रूबरू सच के हम जब हुए
झूठ सारे हवा हो गए
सोच में आज सय्याद है
कैसे पंछी रिहा हो गए
कपिल कुमार
बेल्जियम