गजल

ज़ख्म जिसने दिए आज घायल वही
मानता जो न था अब है कायल वहीं

ग़म का बादल जो बरसा था हम पर कभी
जम के बरसा है उन पर भी बादल वही

दूर की कौड़ी लाने का कहते थे जो
अब भी बैठे है लेकर मसायाल वही

आँख से मेरी काजल चुराया था जो
उनकी आँखों में दिखता है काजल वही

जिसको अपनी समझ बूझ पर नाज़ था
हो गया इश्क़ में आज पागल वही

कपिल कुमार
बेल्जियम

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