ये दिले बेकरार बाक़ी है
ज़िन्दगी का खुमार बाक़ी है
वक्त ने ख़्वाब सारे तोड़ दिए
डूबी कश्ती , सवार बाक़ी है
में भी हारा नहीं हूँ ज़ख्मी हूँ
जंग भी आर – पार बाक़ी है
सारे दरबार खटखटा आए
सिर्फ़ तेरा दयार बाक़ी है
ज़ुल्म तुमने बहुत किए लेकिन
अब भी ये जां निसार बाक़ी है
कपिल कुमार
बेल्जियम