आँख में कुछ नमी- सी बाक़ी है
दिल में रस्साकशी- सी बाक़ी है
सूखे – सूखे से लब ये कहते हैं
अब भी इक तिश्नगी-सी बाक़ी है
ग़मज़दा होना देखिये उनका
लब पे क़ातिल हँसी- सी बाक़ी है
उनके आगे ज़ुबां नहीं खुलती
हममें ये ही कमी – सी बाक़ी है
नाप तो लूँ मैं आसमां तुझको
पैरों में कुछ ज़मीं- सी बाक़ी है
कपिल कुमार
बेल्जियम