बोलो करोगे क्या तुम, ये मेरी जान लेकर
यानी फ़कीर का इक उजड़ा मकान लेकर
जब उड़ गए परिंदे , सारे ही इस नगर से
ऐसे में क्या करोगे , ख़ाली जहान लेकर
बहलाए दिल तुम्हारा , ले लो वही खिलौना
बोलो करोगे क्या तुम , दिल बेज़बान लेकर
जब हुस्न अप्सरा का , होता नहीं मुकम्मल
इतरा रहे हो तुम क्यों , झूठा गुमान लेकर
तुम ढापतेही रहना,इस जिस्म को कफ़न में
उड़ जाए रूह जब भी , लंबी उड़ान लेकर
कपिल कुमार
बेल्जियम