1
गुमसुम लम्हें सन्नाटे गहरे जाएं तो जाएं कहाँ
उस पर बैठे यादों के पहरे जाएं तो जाएं कहाँ
है बहुत मासूम ये दिल, धड़के भी रह रह कर
घूरते अनजाने चेहरे , जाएं तो जाएं कहाँ
हैं बहुत ही दूर मुझसे ,अब लफ़्ज़ों के दायरे
मायने समंदर से गहरे जाएं तो जाएं कहाँ
है यहाँ कुछ भी नही बस खामोशी के सिवा
रूठे रूठे,कुछ लम्हे ठहरे जाएं तो जाएं कहाँ
करते है पीछा अल्फ़ाज़ मेरे बनके गहरे साये
दुश्मन खुद अल्फ़ाज़ मेरे जाएं तो जाएं कहाँ
2
जख्म जिसने दिए , अब घायल वही
जिसे न था यकीं ,अब कायल वही
हमपे बरसा था जो बादल कभी
जमके बरसा है उनपे भी बादल वही
दूर की कौड़ी कहते थे लाए हैं वो
जो लेके बैठे हैं अब भी मसायल वही
चुराके जो ले गए थे वो मेरी आँख से
सजा के बैठे हैं आँखों में काज़ल वही
इश्क़ करना है तो फिर सोचना है मना
इश्क़ में जो सयाना है पागल वही
कपिल कुमार
बेल्जियम