गजल

बोलो करोगे क्या तुम, ये मेरी जान लेकर
यानी फ़कीर का इक उजड़ा मकान लेकर

जब उड़ गए परिंदे , सारे ही इस नगर से
ऐसे में क्या करोगे , ख़ाली जहान लेकर

बहलाए दिल तुम्हारा , ले लो वही खिलौना
बोलो करोगे क्या तुम , दिल बेज़बान लेकर

जब हुस्न अप्सरा का , होता नहीं मुकम्मल
इतरा रहे हो तुम क्यों , झूठा गुमान लेकर

तुम ढापतेही रहना,इस जिस्म को कफ़न में
उड़ जाए रूह जब भी , लंबी उड़ान लेकर

कपिल कुमार
बेल्जियम

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