गजल
मंजिलों से जुदा हो गए रास्ते जब खफा हो गए नर्म हो कर झुके जब कभी लोग सारे ख़ुदा हो…
Writer, Actor, Journalist
मंजिलों से जुदा हो गए रास्ते जब खफा हो गए नर्म हो कर झुके जब कभी लोग सारे ख़ुदा हो…
आँख में कुछ नमी- सी बाक़ी है दिल में रस्साकशी- सी बाक़ी है सूखे – सूखे से लब ये कहते…
गिले – शिकवे हैं रुसवाई बहुत है इसी कारण ही तन्हाई बहुत है बनाने को मुकम्मल दर्द मुझ को तेरी…
ये दिले बेकरार बाक़ी है ज़िन्दगी का खुमार बाक़ी है वक्त ने ख़्वाब सारे तोड़ दिए डूबी कश्ती , सवार…
ख़ाली- ख़ाली नगर ही लगता है अजनबी हर बशर ही लगता है जब घिरे हों उदासियों में तो मुस्कुराना हुनर…
ज़ख्म जिसने दिए आज घायल वही मानता जो न था अब है कायल वहीं ग़म का बादल जो बरसा था…
मंजिलों से जुदा हो गए रास्ते जब खफा हो गए नर्म हो कर झुके जब कभी लोग सारे ख़ुदा…
[ ओमान में रहने वाले प्रवासी साहित्यकार तुफैल अहमद जी पेशे से इंजीनियर और दिल से शायर और लेखक हैं | तुफैल…
1 गुमसुम लम्हें सन्नाटे गहरे जाएं तो जाएं कहाँ उस पर बैठे यादों के पहरे जाएं तो जाएं कहाँ …